“ कौन जाने कब मौत का पैगाम आ जाए
जिंदगी की आखिर शाम आ जाए हम
तो ढूंढते हैं वक्त ऐसा जब हमारी
“तमन्ना से नहीं तन्हाई से डरते हैं
प्यार से नहीं रुसवाई से डरते हैं
मिलने की तो मगर मिलने के
बाद जुदाई से डरते हैं “
“ याद रूकती नहीं रोक पाने से
दिल मानता नहीं किसी के समझाने से
रुक जाती है धड़कन ए आपको भूल जाने से
इसलिए आपको याद करते हैं जीने के बहाने से “
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